मोहनदास करमचंद गाँधी का मेवाड़ से क्या रिश्ता है ?
मेवाड़ अंग्रेजों का ग़ुलाम नहीं रहा तो
मेवाड़ और 15अगस्त का रिश्ता क्या है ?
मेवाड़ को कंस्टीट्यूशन का ग़ुलाम बना कर कंस्टीट्यूशन और पर्श्नल लॉ के नाम पर मेवाड़ के हिंदुओं के सिर पर चढ़ कर नाच रहे है मज़हब विशेष के विशेषज्ञ !!
मेवाड़ को भारत में शामिल करना एक कूटनीतिक राजनीति का हिस्सा था
पिछले 76 सालों से मेवाड़ में बाहरी लोगों को विशेष प्रायोजन से बसाया जा रहा है ।
विशेष प्रयोजन मतलब मेवाड़ को हासिल करना
जिस मक़सद में इनके बापदादा कामयाब ना हो सके उसको पाने की हसरत लिये बैठे है।
और मेवाड़ी हिंदू ग़ुलाम ना होते हुवे भी आजादी के जश्नों में मशगूल है ।
मेवाड़ के साथ छल करने वाले वो लोग है
जिन्होंने पिछले ७६ वर्षों से अभी तक भी मेवाड़ी भाषा को मान्यता तक नहीं दी मेवाड़ी युद्धकला कौशल की शिक्षा स्कूलों से बंद कर दी मेवाड़ के ग़ुलाम ना होते हुवे भी यहाँ के लोगों से १५ अगस्त के कार्यक्रम के नाम पर अल्लामा इक़बाल रचित सारे जहां से अच्छा हिंदुस्थान हमारा गवाने लगे जब कि अलामा इक़बाल ने
पाकिस्थान विभाजन के बाद पाकिस्तान के लिए क्या गाया वो भूल गये ?
मेवाड़ी ग़ुलाम नहीं थे तो उनके लिये फिर कैसा स्वतंत्रता दिवस ?
अंग्रेजों की शिक्षा नीति मेवाड़ियों पर थॉम्प दी गयी। मेवाड़ी अंग्रेजों की अंग्रेज़ी डिग्रियाँ लेने में व्यस्त रहे तब तक मेवाड़ के बाहरी लोगों ने जमीने ख़रीदनी शुरू की क्यों की पढ़ाई के लिए चाहिये पैसा ,
ज़मीन बैच डिग्री हासिल की।
पैसा धन मेवाड़ियों ने हमेशा युद्धों में लगाया तो पुश्तों तक क्या बचा ?
अब जमीने भी जा रही है बाहरी लोग ख़रीदी भी कर रहे है लेकिन अब मेवाड़ी डिग्रियाँ ले के कर रहे है नौकरी (ग़ुलामी)
मेवाड़ में अब ज़रूरत है प्रत्येक स्कूली छात्र को सैनिक शिक्षा की
~~मेवाड़ प्रजामण्डल पार्टी🚩