१४०० सालों का मेवाड़ का इतिहास पढ़ के अपने अस्तित्व की और भी देखना आवश्यक है कि हम कौन है किनके वंशज है और आगे हमारी क्या तैयारी है ?
मेवाड़ के बाहरी पार्टियों के भरोसे ना बैठे रहे यही उचित है?
मेवाड़ मुगलों और अंग्रेजों के अधीन नहीं रहा भारत में शामिल होने के बाद सबसे पहले मेवाड़ की सेना को ख़त्म किया गया था ताकि मेवाड़ की युद्धकला संस्कृति को ख़त्म किया जा सके । कोहनी पर शहद के नाम पर मेवाड़ ग्रेनेडियर बटालियन खड़ी कर इतिश्री कर दी गयी जिसमे मेवाड़ के निवासीसैनिक गिने चुने इन-मिन-तीन ही मिलेंगे ।
वास्तविकता में मेवाड़ की प्रादेशिक सेना की व्यवस्था रहेगी तो ऐसे दिन देखने को नहीं मिलेंगे मोदी योगी या अन्य हिंदू सरकारों या व्यक्ति विशेष नेता के भरोसे बैठना बेवक़ूफ़ी ही होगी समझदारों को इशारा काफ़ी है संगठन में शक्ति है बाक़ी ईरान इराक़ अफ़ग़ानिस्तान तालिबान पाकिस्तान बांग्लादेश अखंड हिंदू राष्ट्र का हिस्सा ही थे जो की अब नहीं रहे ।
ज़रूरत है मेवाड़ को पुनः अपनी प्रादेशिक सैन्य शक्ति की ताकि मेवाड़ के नागरिकों का भविष्य सुरक्षित रह सके।
अन्यथा मेवाड़ क्षेत्र को विशेषराज्य का दर्जा दिया जाये जिससे मेवाड़ के नागरिकों की सुरक्षा पुख़्ता हो।
—मेवाड़ प्रजामंडल पार्टी
मायरा की गुफा(महाराणा प्रताप शस्त्रागार) मेवाड़, Doolawaton Ka Gurha, Kakan Ka Gurha, Rajasthan 313011